देश के नामी इंजीनियरिंग कॉलेज एनआईटी सूरथकल से एक ख़बर आई। कर्नाटक के इस इंजीनियरिंग कॉलेज से 19 साल के सौरव यादव दो साल की पढ़ाई पूरी कर अपने अरमानों को टेक ऑफ करने ही वाले थे कि उन्होंने अपनी जिंदगी से हार मान ली। समाज, सिस्टम, परिवार और खुद की अपेक्षाओं के दबाव में उसने जिंदगी को सरेंडर कर दिया। एक जिंदगी जो बहुत कुछ बदल सकती थी, अपनों को ज़िंदगीभर का ज़ख्म देकर इस दुनिया से रुखसत हो गई। बहुत कुछ अधूरा छोड़कर।
19 साल के सौरव बिहार में पटना के रहने वाले थे। वह एनआईटी में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के सेकंड ईयर के स्टूडेंट थे। परिवार बेहद ग़रीब था, लेकिन ख्वाब अमीर। परिवार ने न जाने कितने जतन किए थे और न जाने कितनी दिक्कतों का सामना कर उसे पढ़ने भेजा था। स्टूडेंट लोन लिया था। पूरी जमा-पूंजी बेटे के बेहतर भविष्य के लिए लगा दी थी। जबसे उसने वहां एडमिशन लिया, घर में खाने तक के लाले थे। फिर कल सुबह होगी, बस इसी उम्मीद के साथ उसके माता-पिता खुश थे।
लोन एक लाख रुपये का लिया था। लेकिन यह एक लाख की रक़म ही उसके पूरे परिवार के लिए इतना बड़ा बोझ बन गई है कि जैसे सौरव की मौत से आसमान उनके सिर पर आ गिरा है। अपने सुसाइड नोट में सौरव ने पिता को लिखा है, ‘जल्दी से लोन चुका देना वरना ब्याज़ जुड़ता चला जाएगा।’ इसके अलावा उसने जानकारी दी कि उसके खाते में 46 हज़ार रुपये हैं। उसका भी उपयोग कर लें। अपने माता-पिता से माफी भी मांगी। उसे लगता था कि अगर वह पढ़ाई पूरी कर एक लाख का लोन नहीं चुका पाया या परिवार के इच्छा के मुताबिक नौकरी नहीं कर पाया तो क्या होगा?
उसका डर जो भी रहा हो, पर दोस्तों का कहना है कि सौरव के अब तक के रिजल्ट अच्छे थे। ग्रेडिंग भी थी। कैंपस सेलेक्शन भी होना तय था। लेकिन नवभारत गोल्ड से बातचीत में एक करीबी दोस्त ने बताया, ‘हमें संस्थान में कभी सकारात्मक रहने का मौका नहीं दिया जाता। गला-काट प्रतियोगिता और एग्जाम का दबाव, हर बार अग्नि परीक्षा से निकलने की बात होती है। हमेशा ऐसा माहौल दिया जाता है मानो इस रात की सुबह नहीं। यहां असफलता को दूसरा मौका नहीं है।’
माता-पिता को जब अपने बेटे की मौत की जानकारी मिली, तो गहरा सदमा लगा। लेकिन इस गम की इंतेहा देखिए, मौत की ख़बर मिली तो माता-पिता के पास बेंगलुरु जाने के पैसे नहीं थे। हद यह कि बेटे की लाश घर आ सके, इसके लिए भी कोई साधन नहीं था। शायद किसी ने सही कहा था, ग़रीबी अपमानजनक नहीं है, बल्कि इसकी भयावहता पीड़ादायक है। पीड़ा महसूस करिए। मजबूर मां-बाप ने अपने बेटे के करीबी दोस्तों से कहा, ‘वहीं उसका अंतिम संस्कार कर दो।’ यह सुनने के बाद सौरव के दोस्तों ने किसी तरह तरह उसके मृत शरीर को पटना पहुंचाने का प्रबंध किया।
A student was found dead at NIT Surathkal. The deceased has been identified as Sourav Kumar Yadav, an electrical and electronics engineering student at National Institute of Technology, Surathkal, Karnataka (NITK) and a native of Bihar.
According to city police commissioner N Shashi Kumar, financial crisis may have forced the youth to take this extreme step.
The commissioner also interacted with college authorities and students.
Police also recovered a death note addressed to victim’s father.
Kumar added that in the death note, the victim requested his father to pay off his education loan worth Rs 1 lakh. He had Rs 46,000 in his account and requested his father to pay off the loan as early as possible else interest would be counted. He further wrote that he was going crazy and would become mad and getting rid of life was easy.
The 19-year-old further stated that nobody else was responsible for his death. He was pursuing his education after taking an education loan and feared that by the time he completed his education, the loan burden would have only increased. He was not sure if he would get a job after completing his studies and was probably facing mental stress, Kumar further said.